भारत के पूर्वोत्तर भाग में बसा सिक्किम (Sikkim) राज्य बहुत छोटा सा है लेकिन प्रकृति प्रेमियों, रोमांच चाहने वालों और आध्यात्मिक यात्रियों के लिए यह स्वर्ग समान है। अपने लुभावने हिमालयी परिदृश्यों, शांत मठों, हरे-भरे चाय के बागानों और जीवंत संस्कृति के साथ, सिक्किम एक अविस्मरणीय यात्रा अनुभव आपको प्रदान करता है।

पास में, दार्जिलिंग है जो वेस्ट बंगाल राज्य में पड़ता है और इसे अक्सर “पहाड़ों की रानी” कहा जाता है – अपने औपनिवेशिक युग के आकर्षण और विश्व प्रसिद्ध चाय बागानों के साथ एक आकर्षक घूमने का स्थान है।
आज हम इस लेख के जरिए सिक्किम के कुछ बेहतरीन घूमने लायक प्लेसेज की बात करेंगे। हम सिक्किम में कुल 10 दिन के लिए घूमने गए थे और इन दिनों हमने जो भी खूबसूरत प्लेस विजिट किए उनको चलिए इस लेख में याद करते हैं।
सिक्किम के बेस्ट टूरिस्ट प्लेसेज
सिक्किम गोवा के दूसरा सबसे छोटा राज्य है लेकिन यह हिमालय के खूबसूरत पहाड़ों से घिरा हुआ है और यहां बहुत सारे घूमने लायक स्थल हैं जिनको शायद 10 या 12 दिन के छोटे से समय में देखा भी नहीं जा सकता।
अगर आप सिक्किम घूमने 10 दिन लेकर आए हैं तो इस समय में कवर हो सके ऐसे स्थल मैने यहां बताए है जिनमें गंगटोक, पेलिंग, लाचुंग और दार्जिलिंग मुख्य सिटी है। इन सभी स्थल को आपको प्लानिंग के साथ कवर करने चाहिए।
गंगटोक
गंगटोक सिक्किम की राजधानी है जो आधुनिकता और परंपरा का एक आदर्श मिश्रण है। पहाड़ों से घिरा यह शहर हिमालय की कई रोमांचक यात्राओं का प्रवेश द्वार है।
गंगटोक बहुत खूबसूरत, स्वच्छ और रोमांटिक शहर हैं। यह शहर मुझे सबसे ज्यादा पसंद आया। कुछ लोग सिक्किम में सिर्फ गंगटोक घूमने आते हैं। गंगटोक शहर और उसके नजदीक बहुत सारे विजिट करने लायक प्लेस है आइए देखते हैं।
एमजी मार्ग गंगटोक
अगर आप शॉपिंग, तरह तरह के खाने के व्यंजन, और यहां की संस्कृति को नजदीक से देखने को उत्सुक हैं तो गंगटोक केमहात्मा गांधी मार्ग पर जरूर जाना चाहिए।

एमजी मार्ग केवल पदयात्रियों के लिए एक स्ट्रीट मार्ग है जहां पर बहुत बड़ी शॉपिंग मार्केट है। ठंडी से बचने के लिए गर्म कपड़े, सिक्किम के पारंपरिक कपड़े, बच्चों के लिए खिलौने आदि कई तरह की शोपियां आप यहां कर सकते हो।
खाने की भी बहुत सारी दुकान यह पर है। समय समय पर यहां पर लाइव एक्टिविटी भी होती हैं जिसका मजा भी आप यहां ले सकते हो। इन शॉर्ट, गंगटोक में गंगटोक की जान ऐसे एमजी मार्ग पर जरूर जाना चाहिए।
रुमटेक मॉनेस्ट्री
रुमटेक मॉनेस्ट्री सिक्किम के सबसे महत्वपूर्ण बौद्ध मठों में से एक हैं। सुंदर पहाड़ों से घिरी इस मठ में आपको बहद सुकून और शांति का अनुभव होगा।
गणेश टोक

6500 मीटर ऊंची चोटी पर स्थित गणेश टोक भगवान श्री गणेश को समर्पित मंदिर है। यहां से पूरे गंगटोक का बेहद ही खूबसूरत पैनोरमिक व्यू दिखाई देता है। साथ में बर्फ से घिरे कंचनजंगा पर्वत का भी आह्लादायक नज़ारा देखने को मिलता है। गंगटोक में जाते हो तो गणेशटोक जरूर जाना चाहिए।
हनुमान टोक
7200 मीटर की ऊंचाई पर स्थित और गंगटोक से 11 किलोमीटर दूर यह मंदिर भगवान हनुमानजी को समर्पित है। यहां से भी आपको आसपास का बहुत अच्छा पैनोरमिक नज़ारा देखने को मिलता है और साथ में यहां पहुंचने का रास्ता भी खूबसूरत है।
ताशी व्यू प्वाइंट
गंगटोक से 8 किलोमीटर दूर ताशी व्यू प्वाइंट से कंचनजंगा पर्वत का बहुत ही खूबसूरत व्यू दिखाई देता है जो दुनिया तीसरे नंबर का ऊंचा पर्वत है। यहां से सीन बहुत अच्छे देखते हैं और अपने कैमरा में कैद कर सकते हो।
बनझाकरी वॉटरफॉल
गंगटोक से 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बनझाकरी वॉटरफॉल 2 एकड़ में फैला हुआ है और यह गंगटोक जानेवाले हर टूरिस्ट की लिस्ट में शामिल होता हैं।
यह वॉटरफॉल के साथ साथ एनर्जी पार्क भी है जो लोगों को आकर्षित करता है। यहां पर आप कुछ शांति से समय पसार कर सकते हैं और फोटोग्राफी के लिए यह एक सुंदर स्थान है।
गंगटोक रोपवे

अगर आप गंगटोक सिटी का ऊपर से खूबसूरत नज़ारा देखना चाहते हो तो रोपवे की सफर जरूर करनी चाहिए क्योंकि रोपवे से अदभुत व्यू आता है। गंगटोक रोपवे का समय सुबह 9 से शाम 5 बजे तक का होता हैं।
सोंगो लेक (Tsomgo Lake)
अरे यार!! सिक्किम में गंगटोक गए हो तो सोंगो लेक घूमना तो बनता ही है जो बहुत ही खूबसूरत है। गंगटोक से सोंगो लेक करीब 40 किलोमीटर दूर है और इस रूट पर आप नाथुला पास और बाबा हरभजन सिंह मंदिर पर भी घूमने जा सकते हो।

इस लेक को सोंगमो लेक या चांगु लेक से भी जाना जाता है। पहाड़ों से घिरे सोंगो लेक का नज़ारा बेहद ही आकर्षक है। यह लेख ठंड के समय बिल्कुल बर्फ से जम जाता है और अलग अलग सीजन में इसकी सतह का कलर भी बदलता रहता हैं।
थोड़ी देर यहां ठहरकर आप सुकूनभरे और रोमांचित करने वाले नजारे का मज़ा उठा सकते हो। यहां पर याक राइडिंग भी है जिसका अनुभव भी आपको लेना चाहिए।
नाथुला पास
नाथुला पास एक बेहद ही सुंदर देखने लगक जगह है जो दरअसल भारत चीन की बॉर्डर पर स्थित है। यहां जाने के लिए आपको स्पेशल परमिट बनानी होगी।

नाथुला पास पहुंचने का रास्ता दुनिया के सबसे ऊंचे रास्तों में से एक में गिना जाता है और यह जितना एडवेंचरस और रोमांटिक है उतना खतरनाक भी है। यहां ज्यादातर बर्फ होती ही है। नाथुला पास व्यू प्वाइंट पर हमेशा ठंडी पवन चलती रहती है और हवामान कभी भी बदल सकता है। इसीलिए आपको इसकी पहले से ही तैयारी करके जाना चाहिए। इसके लिए सोंगो लेक से पहले आपको गर्म कपड़े रेंट पर ले लेने होते हैं।
यह बॉर्डर एरिया है इसीलिए यहां सिक्योरिटी भी ज्यादा होगी। अगर हवामान सही है और रास्ता खुला है तो आपको नाथुला पास एकबार जरूर विजिट करना चाहिए।
बाबा हरभजन सिंह मंदिर
पहेली बार सुनते आपको लगता है कि यह किसी भगवान का मंदिर है। लेकिन नहीं। यह मंदिर एक भारतीय सेना के फौजी हरभजन सिंह को समर्पित मंदिर है।

हरभजन सिंह चीन की सरहद पर अपनी ड्यूटी करते समय खाई में गिर जाने की वजह से मौत हो गई थी और उनका शरीर बर्फ में दफन हो गया था। बाद में एक फौजी के सपने में बाबा हरभजन सिंह ने खुद उनका का मृत शरीर कहा है वह बताया।
कहा जाता है कि बाबा हरभजन सिंह अभी भी अपनी ड्यूटी करते हैं और उनके बहुत सारे प्रसंग भी हैं। बाबा हरभजन सिंह को याद करते हुए यह मंदिर उनको समर्पित है।
गंगटोक से सोंगो लेक, नाथुला पास और बाबा हरभजन सिंह मंदिर एक ही रूट पर आते हैं। इसीलिए इनकी स्पेशल परमिट बनाकर इन तीनों जगह की विजिट जरूर करनी चाहिए। यहां का मंत्रमुग्ध करने वाला वातावरण, बर्फीले पहाड़ों के दृश्य, रोमांचित सफर आपकी यात्रा को यादगार बना देंगे।
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पेलिंग
गंगटोक में आप 3 दिन आराम से बीता सकते हो। गंगटोक घूमने के बाद आपको पेलिंग जाना चाहिए जो 125 किलोमीटर दूर है। पेलिंग अच्छे से घूमने के लिए आपको 2 दिन की आवश्यकता होगी। पेलिंग के विजिट करने योग्य स्थलों की सूची नीचे दी गई है।
पेमायांग्त्से मॉनेस्ट्री

पेमयांगत्से मॉनेस्ट्री सिक्किम की सबसे पुरानी मॉनेस्ट्री है जो 350 सालों पहले निर्माण की गई थी। यह मॉनेस्ट्री सिक्किम की अन्य मॉनेस्ट्री को नियंत्रित करती है। यहां के मॉन्क “प्योर मॉन्क” कहलाते हैं। कुदरती सौंदर्य से घिरी इस मॉनेस्ट्री की विजिट करके यहां शांति का अनुभव जरूर करें।
ख़ेचुपरी लेक

पेलिंग घूमते समय ख़ेचुपरी लेक हर किसी की लिस्ट में शामिल होता हैं। ख़ेचुपरी लेक को “विश फ़ुलफिलिंग लेक” भी कहते हैं। यह लेक बुद्ध और हिंदू दोनों धर्म के लोगों के लिए पवित्र माना गया है।
इस लेक में आपको बड़ी बड़ी मछलियां भी थी जिसे खाना खिलाने का हमें बहुत आनंद आया। पहाड़ी सौंदर्य से घिरी इस झील की विजिट आपको जरूर करनी चाहिए।
कंचनजंगा वॉटरफॉल

पेलिंग जानेवाले हर टूरिस्ट के लिस्ट में कंचनजंगा वॉटरफॉल का नाम आता है। हरभरे घने जंगलों से घिरा यह वॉटरफॉल पेलिंग से 25 किलोमीटर दूर है और यहां पहुंचने के लिए कुछ सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। यह वॉटरफॉल बहुत ही सुंदर है। पहले यहां ज़िपलाइन जैसी एक्टिविटी भी होती थी। यहां पर शॉपिंग और खाने की कुछ दुकानें भी हैं।
सिंगशोर ब्रिज
सिंगशोर ब्रिज सिक्किम का सबसे ऊंचा और एशिया का दूसरा सबसे ऊंचा सस्पेंशन ब्रिज है जो डेंटम और उत्तरे इन दो गांवों को जोड़ता है। लोहा और कंक्रीट से बना यह ब्रिज 787 फिट लंबा है।
इस ब्रिज से रोमांचित करने वाले नजारे देखने को मिलते हैं। साथ पहाड़ों से गिरते बहुत सारे झरने भी इसकी खूबसूरती को बढ़ावा देते हैं। खाड़ी, झरने, मनमोहक प्राकृतिक सौंदर्य आदि के कारण यह ब्रिज बहुत सारे टूरिस्ट को यहां आकर्षित करता है।
लाचुंग
लाचुंग एक छोटा सा गांव है जो गंगटोक से 130 किलोमीटर और पेलिंग में 170 किलोमीटर दूर है। लाचुंग बेहद ही खूबसूरत पहाड़ों से घिरा हुआ है। यहां का पहाड़ी सौंदर्य आपको रोमांचित कर देता है। अगर आप जीरो प्वाइंट और यूमथांग वैली घूमने जा रहे हों तो आपको लाचुंग में स्टे करना होगा।

यूमथांग वैली
यूमथांग वैली को वैली ऑफ फ्लावर्स भी कहा जाता है। यहां पर फूलों का सीज़न मार्च से जून तक रहता है। इस सीज़न में रोड़ाडेन्ड्रोन के बेहद ही खूबसूरत फूल खिलते हैं। इस समय पहाड़ों के सौंदर्य और फूलों से सजी यह वैली बेहद ही आकर्षक और रोमांचित लगती हैं।
जीरो प्वाइंट
यूमथांग वैली से आगे जीरो प्वाइंट है जहां भारत का रास्ता खत्म हो जाता है और आगे तिब्बत की बॉर्डर लग जाती है। यह स्थल बर्फ से घिरे पहाड़ी सौंदर्य से भरपूर है। आपको यहां बहुत मज़ा आएगा। हम जब यहां पहुंचे तो वहां पर एक गुजराती ग्रुप भी था जो गरबे की मज़ा ले रहे थे। ऐसा प्यारा सा मौसम और सौंदर्य हो तो नाचने गाने का मन अपने आप हो जाता है।
नामची
नामची का अर्थ होता है “स्काई हाइ” यानि कि ऊंचा आकाश। नामची बेहद ही खूबसूरत सिक्किम का छोटा शहर है जो गंगटोक से 80 किलोमीटर दूर है। अगर आप पेलिंग से गंगटोक जा रहे हों तो नामची होकर जरूर जाना चाहिए। यहां पर घूमने लायक बहुत स्थल हैं।

इन बहुत सारे स्थल में से सिद्धेश्वर धाम हम गए थे। यह स्थल सरकार द्वारा 2011 में डेवलप किया गया था जो एक पीलग्रीमेज स्थल भी है। ऊंची पहाड़ी पर स्थित यह जगह बेहद ही खूबसूरत है। यहां पर 87 फुट ऊंची भगवान शिवजी की मूर्ति बनाई गई है और सामने बहुत बड़ी नंदी की मूर्ति भी है। यहां पर आपको चार धाम और बारह ज्योतिर्लिंग के दर्शन भी करने को मिलते हैं।
हम जब यहां पहुंचे तब हल्की बारिश भी शुरू हो गई थी जिससे यहां का सौंदर्य और अधिक रोमांचित करने वाला हो गया। थोड़ी देर शांति से यहां बैठकर पूरे इलाके का खूबसूरत पैनोरमिक व्यू का मज़ा जरूर उठाना चाहिए।
दार्जिलिंग
दार्जिलिंग एक बेहद ही खूबसूरत हिल स्टेशन है जो भारत के वेस्ट बंगाल राज्य में पड़ता है। लेकिन सिक्किम के टूरिस्ट प्लेसेज के बहुत नजदीक होने के कारण सिक्किम घूमने जानेवाले के लिस्ट में दार्जिलिंग जरूर शामिल होता है।
दार्जिलिंग में बहुत सारी बॉलीवुड फिल्मों की शूटिंग भी हो चुकी है और यहां पर घूमने लायक बहुत सारे स्थल है जो दो दिनों में आसानी से कवर हो सकते हैं।

टाइगर हिल
भारत के कुछ सबसे बेहतरीन सनराइज का अनुभव करना हो तो टाइगर हिल जरूर जाना चाहिए। सुबह चार बजे जल्दी उठकर इस जगह पहुंच जाओ। जब यहां सूरज उगता है तब कंचनजंगा पर्वत का आह्लादायक नज़ारा देखने को मिलता है। सूरज की किरणे जब इस पर्वत पर पड़ती है तब यह सोने के पहाड़ जैसा दिखाई देता है। यह नज़ारा बहुत खूबसूरत है।
बटासिया लूप और वॉर मेमोरियल
बहादुर गोरखा सैनिकों को समर्पित यह बटासिया लूप और वॉर मेमोरियल दार्जिलिंग से 5 किलोमीटर दूर है। यहां से बर्फ से ढके कंचनजंगा पर्वत का बहुत ही अच्छा दृश्य दिखाई देता है।
दार्जिलिंग हिमालयन ट्रेन भी यहां से गुजरती है और थोड़ी देर ठहरती है। ट्रेन से उतरकर इस स्थल पर कुछ समय सुकून से गुजार सकते हो। यहां गार्डन के बीच में वॉर मेमोरियल बनाया गया है जो देश के लिए युद्ध में शहीद हुए बहादुर गोरखा सैनिकों की याद दिलाती है।
बटासिया लूप पर लोकल शॉप्स भी हैं जो यहां के पारंपरिक और कपड़े बेचती है। यहां शॉपिंग का मज़ा ले सकते हो।
दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे
भारत की सबसे ऊंचाई पर स्थित रेलवे ट्रैक दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे है जिसका अनुभव जीवन में आपको एकबार जरूर लेना चाहिए। इसे दार्जिलिंग टॉय ट्रेन भी कहा जाता है।
अगर इस ट्रेन की लंबी सफर नहीं करनी है तो इसकी जॉय राइड भी कर सकते हो जो घूम स्टेशन जाकर वापस आती हैं।
यह ट्रेन डीजल इंजन और स्टीम इंजिन दोनों से चलती हैं। आप जिस भी इंजन वाली ट्रेन में सफर करना चाहते हो उसकी टिकट बुक करवा लो। टिकट एडवांस में ऑनलाइन जरूर बुक करें क्योंकि इस ट्रेन में दो ही कोच हैं और वह भी जल्दी फूली बुक हो जाते हैं।
इस ट्रेन की सफर दार्जिलिंग रेलवे स्टेशन से शुरू होती है और पहला स्टॉप बटासिया लूप पर होता हैं। फिर यहां से निकलकर घूम स्टेशन पर अंतिम स्टॉप होता है। यहां ट्रेन आधा घंटा रुकती है। घूम रेलवे स्टेशन दुनिया का सबसे ऊंचा लोकोमोटिव रेलवे स्टेशन है।
यहां पर घूम म्यूजियम भी है जिसमें भारतीय रेलवे के कुछ यादगार पल हैं। इसकी विजिट जरूर करें। इस स्टेशन पर कैंटीन भी है जहां पर आप खाने का मज़ा लें सकते हो।
घूम रेलवे स्टेशन से ट्रेन वापिस दार्जिलिंग रेलवे स्टेशन पर आ जाती है और आपका बेहद ही रोमांचक और यादगार टॉय ट्रेन का सफर यहां ख़त्म होता है।
पीस पगोड़ा
पीस पगोड़ा एक बुद्धिस्ट टेंपल है और यहां पर भगवान बुद्ध के चार अवतारों की प्रतिमाएं हैं। यह मंदिर 94 फीट ऊंचा और 75 फीट डायामीटर में है। इस खूबसूरत मंदिर की विजिट करके यहां पर कुछ पल शांति के भी जरूर गुजारिए।
मॉल रोड दार्जिलिंग
शॉपिंग और खानेपीने के शौकीनों के लिए दार्जिलिंग का मॉल रॉड बेहद ही एक्टिव है। मॉल रोड पर शॉपिंग के लिए आपके पास बहुत सारे ऑप्शंस हैं। तरह तरह के कपड़े, स्वेटर, मसाले, बच्चों के लिए खिलौने और भी बहुत कुछ। अगर आप कुछ खरीदना भी नहीं चाहते तो भी मॉल रोड पर विजिट करके आपको बहुत ही आनंद मिलेगा।
टी गार्डन
दार्जिलिंग याने बहुत सारे टी गार्डन। अपने टैक्सी वाले भाई को बोलकर आप किसी भी एक अच्छे टी गार्डन की विजिट जरूर कर लें। ज्यादातर टी गार्डन ढलान में ही होते है। इसीलिए थोड़ा चढ़ना उतरना भी पड़ता है। लेकिन यहां का वातावरण और नज़ारा बेहद ही खूबसूरत होता है।
पद्मजा नायडू हिमालयी जूलॉजिकल पार्क
पद्मजा नायडू हिमालयन जूलॉजिकल पार्क को दार्जिलिंग जू के नाम से भी जाना जाता है और यह भारत का सबसे ऊंचाई पर स्थित प्राणीसंग्रहालय है। यह जू बहुत ही सुंदर है और यहां पर हिमालय में पाई जाने वाली दुर्लभ और लुप्तप्राय प्रजातियां को रखा गया है।
इस जू में प्रवेश करते ही पूरे एरिया का मैप लगाया गया है जिसका फोटो आप जरूर खींच लें। क्योंकि आगे आपकी गाइडेंस के लिए यह फोटो काम आ सकता है। यह जू गुरुवार को बंद रहता है तो यहां पर आपकी विजिट की योजना उस प्रकार से बनाए।
इस जू में हिमालयन माउंटेनियरिंग इंस्टीट्यूट भी है जो पर्वत को कैसे चढ़ते हैं उसकी ट्रेनिंग देता है। साथ में यहां म्यूजियम भी जिसकी मुलाकात जरूर करनी चाहिए।
तो यह थे सिक्किम के बेस्ट टूरिस्ट स्पॉट्स जो आपके लिस्ट में शामिल होने चाहिए। इन सभी स्पॉट को अच्छी तरह से घूमने के लिए अगर आपके पास कम से कम 10 दिन का समय है तो बहुत बढ़िया है। आशा करता हूं कि आपकी सिक्किम की यात्रा सुखद, शुभ और सुरक्षित हो।